१) जाते हुए कहते हो 'कयामतको मिलेंगे ',
क्या खूब ! क़यामत का है कोई दिन और.
( ग़ालिब का कहने का मतलब क्या आप जा रहे हो वो क़यामत नही तो क्या है ?)
२) मुजको पूछा तो कुछ गजब न हुआ ,
मै गरीब और तू गरीब-नवाज ।
३) 'ग़ालिब' नदिमे-दोस्त से आती है बू-ऐ-दोस्त
मशगूले -हक हू बंदगी-ऐ-बू तुराब में .
( नदिमे-दोस्त=दोस्त का दोस्त, बू-ऐ-दोस्त= दोस्त की खुशबू ,हक=खुदा, बू तुराब=अबू तुराब =मौला अली )
----मिर्जा ग़ालिब (दीवान-ऐ-ग़ालिब में से ..)
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