Tuesday, September 15, 2009

) जाते हुए कहते हो 'कयामतको मिलेंगे ',
क्या खूब ! क़यामत का है कोई दिन और.

( ग़ालिब का कहने का मतलब क्या आप जा रहे हो वो क़यामत नही तो क्या है ?)

) मुजको पूछा तो कुछ गजब हुआ ,
मै गरीब और तू गरीब-नवाज

) 'ग़ालिब' नदिमे-दोस्त से आती है बू--दोस्त
मशगूले -हक हू बंदगी--बू तुराब में .

( नदिमे-दोस्त=दोस्त का दोस्त, बू--दोस्त= दोस्त की खुशबू ,हक=खुदा, बू तुराब=अबू तुराब =मौला अली )
----मिर्जा ग़ालिब (दीवान--ग़ालिब में से ..)

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